राजस्थान: निकाय चुनाव में दांव पर गहलोत-बिरला सहित कई सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा
हालांकि चुनाव स्थानीय हैं, मगर इनके लिए राष्ट्रीय नेताओं की ओर से किए जा रहे प्रचार ने इसे काफी दिलचस्प बना दिया है, जिससे इन चुनावों का महत्व काफी बढ़ गया है.जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर, जोधपुर और कोटा में होने वाले नगर निगम चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी है. जयपुर, जोधपुर और कोटा में 29 अक्टूबर को होने वाले राजस्थान नगर निगम चुनाव और एक नवंबर को छह नगर निगमों के लिए होने वाले चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित कई वरिष्ठ नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है.
हालांकि चुनाव स्थानीय हैं, मगर इनके लिए राष्ट्रीय नेताओं की ओर से किए जा रहे प्रचार ने इसे काफी दिलचस्प बना दिया है, जिससे इन चुनावों का महत्व काफी बढ़ गया है. पहली दिलचस्प लड़ाई जोधपुर में देखने को मिल रही है. जोधपुर मुख्यमंत्री गहलोत का गृहनगर है तो केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का भी शहर है.
गहलोत जोधपुर के सरदारपुरा से विधायक हैं. वहीं शेखावत यहां से लोकसभा चुनाव में सांसद के तौर पर चुने जा चुके हैं. उन्होंने यहां से गहलोत के बेटे वैभव को मात दी थी, जो कांग्रेस के टिकट पर लड़ रहे थे. चुनाव प्रचार के दौरान शेखावत की जमीन पर मजबूत मौजूदगी देखी जा रही है, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान गहलोत की अनुपस्थिति ने प्रदेश में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है.
सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि स्थानीय चुनाव लोकसभा की कहानी दोहरा पाते हैं या नहीं. इन चुनावों से भगवा पार्टी को काफी उम्मीदें हैं. सीएमओ और सीएमआर में कई लोगों को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद गहलोत ने अपनी सभी बैठकें रद्द कर दी हैं. हालांकि, वह राज्य में चीजों को सुचारु रूप से चलाने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस में भाग ले रहे हैं और उनके बेटे वैभव गहलोत जोधपुर में मामलों को संभाल रहे हैं.
जोधपुर में जमीनी स्तर पर गहलोत की अनुपस्थिति और शेखावत की मजबूत उपस्थिति की राजनीतिक गलियारों में व्यापक रूप से चर्चा हो रही है, क्योंकि शेखावत खुले तौर पर घोषणा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने जोधपुर की अनदेखी करके अपने बेटे की हार का बदला ले रहे हैं.
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